Saturday, January 9, 2010

इंसानी प्रेम में स्वार्थ है !!

प्रेम शब्द का इंसानों के लिए अलग अलग मतलब है| हर प्रेम में स्वार्थ है !

माँ बाप अपने बच्चों को पाल पोसकर बड़ा करते हैं ये लालसा रहती है की बड़ा होकर सहारा बनेगा|

बुढापे में सेवा करेगा! एक लड़की से लड़का या लड़के से लड़की इसलिए प्रेम करती है की बदले में वो भी उसे प्रेम करे |

मगर एक चिड़िया अपने अण्डों को हिफाजत करके उसमे से निकलने वाले चुज्जों को दाना चुगाकर बड़ा करती है | चुज्जे बड़े होकर उड़ जाते है| चिड़िया को किसी प्रतिफल की इच्छा नहीं !
गाय अपने बछड़े की देख रेख करती है उसे प्रेम करती है बड़ा हो कर बछडा क्या उसकी सेवा करता है?
ये है निस्वार्थ प्रेम ! ऐसा प्रेम ही पुजारी से पूज्य बनाता है | आत्मा से महात्मा बनाता है !!

10 comments:

  1. बहुत सुंदर बात कही है .......... जय हो .........

    ReplyDelete
  2. जय हो महाराज, बहुत अच्छा लगा कि "फकीरा" पर अपने दया करी। ब्लॉग पर आपके दर्शन पाकर स्वर्गिक आनंद की अनुभूति हुई।

    ReplyDelete
  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें

    ReplyDelete
  4. धन्य हो महाराज!

    ReplyDelete
  5. मकर संक्रांति की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ!
    बहुत ही बढियां पोस्ट !

    ReplyDelete
  6. pahli baar blog pe aayi...accha laga...bade hi rochak andaz mein apni baat keh jate hai aap...
    aur ye to khoob likha aapne...

    ReplyDelete
  7. कहाँ हो महाराज , होली और मिलाद उन नबी की शुभकामनायें कबूल करें !

    ReplyDelete
  8. बेहतरीन तथ्यों के साथ अच्छी प्रस्तुति .... बधाई.....शुक्रिया..

    ReplyDelete

www.blogvani.com

Followers